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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Tragedy

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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Tragedy

तबाही का मंजर

तबाही का मंजर

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तबाही का मंजर कुछ यूं पसरा है

हाहाकार चहुंओर मच रहा है

दर्द की इंतहा हो गई है

ना आया कोई अपने काम

दहशत ऐसी बैठी मन में

चाह कर भी न बचा पा रहे अपनों की जान

तबाही का मंजर कुछ यूं पसरा है।


इस अदृश्य बीमारी ने यूं पांव पसारे है

सिर्फ दिखते लाशों के ढेर सारे हैं

मन विचलित होता डर से रूह है कांप जाती

जब हर ओर से रोने की आवाज़ है आती

हर पल अपनो की चिंता है सताती 

इस खौफनाक मंजर ने कुछ इस तरह डराया है।


हर जगह एक सा प्रतीत होता है

कही दरकते दिल ,कही डूबते अस्पताल

जानवर हो या इंसान सब पर एक सा कहर छाया है

दरिया का रास्ता भी रोक दिया,

हवा में जहर घुल आया है

कुछ इस तरह तबाही का मंजर छाया है।


 बेबस इंसान हैं 

 लाचारी के हालात हैं

पर हिम्मत न हारेंगे 

हम इससे लड़ के दिखाएंगे 

अपनी सुरक्षा करते हुए ,

दूसरो की जान बचाएंगे

छह गज की दूरी और मास्क है जरूरी 

ये नियम सब मिल अपनाएंगे ।



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