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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

फिल्मकार

फिल्मकार

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जैसा होता इस समाज का संसार

वैसी ही फ़िल्म बनाता, फिल्मकार

यदि समाज है, हमारा लाजवाब

फ़िल्म भी होगी वाकई आफ़ताब

जैसा होगा यहां कोई दीपकार

वैसी ही होगा, रोशनी चमत्कार

गर समाज में फैला अंधकार

फिर कैसे लाये, भोर फिल्मकार

वही दिखाता आईना फिल्मकार

जैसा है, इस समाज का प्रसार

सत्यचित्र बना सकता, वो चित्रकार

जिसके भीतर बसा हुआ, ईमानदार

पर आजकल सत्य फ़िल्मकार

बहुत कम हो गये है, इस संसार

आज जो गर बता दे, फिल्मकार

बहुत से हो जाते है, यहां बीमार

वही समाज में लाता है, बदलाव

जो सत्यपथ का होता है, जानकार

वो चलचित्र होता प्रसिद्धि हकदार

जो ढोता है, सदैव सत्य का भार

वही व्यक्ति बन सकता, फिल्मकार

जो मिटा सकता, समाज, अंधकार

वही बनाता है, समाज को निर्विकार

जो स्वयं का पहले मिटाता, विकार

जिसके भीतर बसा है, सच विचार

वो जीवन फ़िल्म जिंदा फिल्मकार



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