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Renu Sahu

Drama Inspirational

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Renu Sahu

Drama Inspirational

नवरात्री डायरी……. चतुर्थी (नीला)

नवरात्री डायरी……. चतुर्थी (नीला)

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दिव्य-प्रकाश आकाश में छाया,

रंग नीला बन, करे उजियारा|

ब्रम्हांडीय ऊर्जा है जिसमें,

नीले रंग की उपमा जिसमें॥


सागर अम्बर सभी सजे है,

माँ के तेज में सब निखरे है।

नील हुए ले तेरी उष्मा,

प्रकाशित जगत है तेरी उपमा॥


पृथ्वी, ग्रह-नक्षत्र के तारे,

सूर्य-चंद्र अधीन है सारे।

तुझसे जीवन, तुझसे मंगल।

मूक मुस्कान, तेरी महिमा मंडन॥


कु का अर्थ है कम और थोड़ा,

उष्मा बोले गर्मी-ऊर्जा।

अण्ड अर्थे बरम्हाण्डीय अंडा,

नाम बसे, तेरी आभा-उपमा॥


स्वास्थ्य-फलित, धन-शक्ति देती,

भक्त जानो पे कृपा है करती।

नीलम ज्योति, नयन विशाला,

अनाहत चक्र, निवास बसाया॥


त्रिशूल, चक्र, तलवार, गदा ले

अमृत-कलश, धनुष हाथ ले

अभय-मुद्रा, आशीष है देती,

सिंह सवारी गर्जन करती॥


पेठे का फल तुमको भाए,

दही हलवे का भोग लगाए।

लाल-पुष्प, गुड़हल, गुलाब माँ,

करे अर्पण, सिंदूर लाल माँ॥


ब्रम्हा नत-मस्तक, तेरे द्वारे,

सृजनकर्ता ब्रम्ह तू ही रचाए।

देवों की आराध्य तू देवी,

तुझसे आरम्भ और अंत भी तू ही॥


आदिशक्ति हे अष्टभुज धारी,

कुम्हड़ा बलि तुम्ही को प्यारी।

मिटा अन्धकार प्रकाश फैलाया,

इशत हास्य ब्रह्मांड रचाया॥


वास सूर्यमण्डल के मध्ये,

दैदीप्यमान तुम्हारी प्रभा से।

आयु यश का दान है देती,

वर से सबकी झोली भरती॥


नील-नील संसार में, प्रखर तेरा यश गान।

चौथी शक्ति माँ कुष्मांडा, कोटि-कोटि प्रणाम॥



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