नवरात्री डायरी……. नवमी (मयूर हरा)
नवरात्री डायरी……. नवमी (मयूर हरा)
आठ दिन की माँ की भक्ति,
नौवे दिन भी मिली वही शक्ति।
मंदिर-मंदिर, घर-घर द्वारे,
माँ दुर्गा के लगे जय कारे॥
मयूर हरित रंग आज है सजता,
इच्छा हुई पूरी, भाव है रखता।
जितना सुन्दर रंग ये पावन,
छटा माँ की उतनी मनभावन॥
जिसपर कृपा मात की होती,
लौकिक-पारलौकिक इच्छा फलती।
मोह सांसारिक रह ना जाता,
सबसे ऊपर मोक्ष वो पाता॥
माँ भगवती का पूजन कर लो,
ध्यान धरो, अमृत पद पूजो।
मिल जाएगी, सिद्धियां निधिया,
माँ जगदम्बा, देगी फल इतना॥
नौ दिन माँ का हर्ष था छाया,
शक्ति-भक्ति, ओज बिखराया।
मां के रंग, झूमे जग सारा,
गरबा नाच किए जगराता॥
नौ दिन नौ रंगो से पूजा,
नवरात्री सा दिन नहीं दूजा।
नौ रूप, नौ ज्ञान बताए,
नारी शक्ति से हमें मिलाए॥
है मैय्या हर गुण से पूरित,
हमी अंश माता के सुरभित।
खोलो नेत्र, अस्तित्व को जानो,
माँ कर नमन, खुद को पहचानो॥
प्राकाम्य, अणिमा, शाशित्व, महिमा,
वशित्व, प्राप्ति, लघिमा, गरिमा,।
आठ सिद्धिया मिल जब जाए,
सिद्धि दात्री माँ दुर्गा कहाए॥
आत्म चेतना करने जागृत,
नौ दिन माँ तेरी बनी उपासक।
तेरी कृपा से शिव हर्षाए,
अर्द्धनारिश्वर वो कहलाए॥
चार हस्त ले सिंह सवारी,
भृकुटि तेज, रूप मनोहारी।
तेरी उपमा कर ना पाए,
सृष्टि के कण-कण, में तू छाए॥
तू ही काल तू ही आरम्भ, तुझसे जीवन-श्मशान।
सिद्धिदात्री हे माँ दुर्गा, जग करता तुझे प्रणाम॥