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Renu Sahu

Drama Inspirational

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Renu Sahu

Drama Inspirational

तृतीया (लाल रंग)

तृतीया (लाल रंग)

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लाल पुष्प का माल्य बनाया,

कुमकुम लाल, माथ सजाया।

लाल चुनरिया माँ को चढ़ाये,

जय माता दी कहते जाए ॥


क्रोध, उग्रता, लाल प्रतिका,

करे संहार सभी दुष्टो का।

नेत्र तीज में रक्त की ज्वाला,

क्रोधित माँ का रूप विकराला॥


मिटाने बुराई, तत्पर लड़ जावे,

चंद्र-खंड, चंद्रिका कहाए।

साहस देती, अभय फल देती,

भय क्लेश भक्तों के हरती॥


श्रृंगार लाल रंगो से करके,

माँ की छवि नैनों में भर के।

सीखो पाठ लाल रंगो का,

जुनून, शक्ति, शुभता के बलो का॥


दन्त कथा में तू शिव-शक्ति,

चंद्रशेखर रूप में सजती।

रंग सुनहरा, रूप आकर्षक,

सिंह रुधा, अनुग्रह मन भावक॥


दुष्ट नाशनी, माँ आक्रामक,

करती दया, जो हो तेरे उपासक।

ममता की भी तू परिभाषा,

करुणामयी दिव्य तेरी आभा॥


लाल दिखाये, साहस तुझमें,

आक्रामक भाव जागते जिसमें।

नाश बुराई रंग लाल से,

प्रचंड शक्ति नाशो के भाव से॥


महिषासुर की मर्दनी देवी,

अनाचार की नाशक देवी।

तेरे घंटे की, ध्वनि जो बाजे,

असुर लकवाग्रस्त हो के भागे॥


शांति रूप हे! माँ रणचंडी!

माँ गौरी की रौद्र रूप तुम्ही।

मस्तक अर्ध चन्द्रमा सुहावे,

दूध मिठाई भोग में भावे॥


महिषासुर आतंक मचाये,

दैत्य संहार करने तुम आए।

कर विग्रह पूजन तुम्हें बुलाए,

मन मणिपुर चक्र प्रविष्ट हो जाए॥


दशो भुजा ले अस्त्र-शस्त्र, माँ युद्ध को तैयार।

हे चंद्रघंटा! तृतीय नवदुर्गा, वंदना करो स्वीकार॥


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