फ़ैल रहा चारों ओर बिना मेरे हस्तक्षेप के अनाचार ! फ़ैल रहा चारों ओर बिना मेरे हस्तक्षेप के अनाचार !
मना रहे हर रोज़ मधुमास ये तथाकथित कर्णधार मनीषी हैं मना रहे हर रोज़ मधुमास ये तथाकथित कर्णधार मनीषी हैं
वो करते रहे अनाचार, और हम सहते गए उनका तमाचा। वो करते रहे अनाचार, और हम सहते गए उनका तमाचा।
नारी के भी स्वयं की शक्ति के पहचानना होगा और आगे आना होगा, नारी के भी स्वयं की शक्ति के पहचानना होगा और आगे आना होगा,
कल-कारखाने रचे उजाड़ जंगल, वन्य प्राणियों को आश्रयहीन किया। कल-कारखाने रचे उजाड़ जंगल, वन्य प्राणियों को आश्रयहीन किया।