भारत में नारी का महत्व
भारत में नारी का महत्व
जिस देश में नारी को निज सादर देवी के रूप में देखा जाता हैi
जिसको ममता स्नेह समर्पण, त्याग का प्रति रूप मiनi जाता हैi
प्राचीन काल से ही रही है जो सदा सम्मानित हर युग, स्थिति में,
जिसको पुरुष का सदैव सुख दुःख का सह भागी माना जाता है
जो अपने माता पिता की आँखों की होती है प्यारी दुलारी सदा,
जिसको विवाह के समय सम्पूर्ण परिवार द्वारा पूजा जाता हैi
जो आज अबला नहीं सबला के रूप में विधि द्वारा प्रतिस्थापित है,
कभी उसे कमनीयता तो कभी उसे शौर्य का प्रतीक माना जाता है
क्यों होता है उसका यौन शोषण है यह प्रश्न विचारणीय आज.
सभ्य समाज में बiहरी मुखौटे से जिसका प्रतिवाद किया जाता हैi
कौन दोषी है इसके लिए और क्या समाधान हो सकता जिसके लिए,
क्या केवल कानून और सरकार पर ही इसका सारा दायित्व आता है
सख्त कानून, त्वरित न्याय व्यवस्था और सामाजिक बहिष्कार के साथ
स्थानीय निवासियों व परिवार के हिस्से में भी कुछ योगदान आता हैi
घर की प्राथमिक पाठशाला में नैतिक शिक्षा व मर्यादा का पाठ देकर,
बहुत कुछ उपलब्धि पा सकने का विचार हम सबके मन में आता है
नारी के भी स्वयं की शक्ति के पहचानना होगा और आगे आना होगा,
यह सर्व विदित सत्य है कि माँ के माध्यम से ही मनुष्य संसार में आता है
हर परिवार में हममें से हर किसी की माँ ,बहिन, पत्नी व बेटी होती है,
फिर भी न जाने क्यों पुरुष अनाचार करते हुए यह सब भूल जाता है
सरकार तो यथासंभव सब कर रही है, हमें भी अपना कर्तव्य निभाना है,
भारतीय संस्कृतिके अनुसरण. अनुगमन ही इस भारत भूमि को भाता है