हिंदुस्ता मेरा
हिंदुस्ता मेरा
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क्या कुछ नही देखा तुमने,
कितने अघात झेले।
कभी कोई थे परदेसी,
जिन्होंने चाहा तुम्हे मिटाना,
कभी थे अपने ही औलादे,
जिन्होंने नुकसान तुझे पहुँचाया।
हर कोशिश रही नाकाम,
हर शक्श हरा है,
जब कभी भी किसीने,
हिंदुस्ता को ललकारा है
चाहे वो अपने हो या पराए।
क्या कुछ नही देखा तुमने,
कितने अघात है झेले।
जब तक है सच्चे हिंदुस्तानी,
तेरे लिए करेंगे हर कुरबानी,
हर कोशिश होगी नाकाम,
हर वो शक्श हारेगा,
हिंदुस्ता मेरा हमेशा मुस्कुराएगा,
जानता है उसके औलाद कितने है सच्चे,
जीत का तिरंगा उसका हमेशा लहराएगा,
हिंदुस्ता मेरा अपराजित कहलाएगा।