ये क्या कर रहे हैं आप
ये क्या कर रहे हैं आप
दिल की चोरी करके अब मुस्कुरा रहे हैं आप,
ज़रा हमें बताइए कि ये क्या कर रहे हैं आप !
इन फूलों को बागान नहीं दे रहे हैं आप
गुलशन प कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं आप !
बैठे हैं इस हुजूम में कितने ही एकलव्य
हाथों में बस कमान नहीं दे रहे हैं आप !
यूँ लग रहा है आप को बे-फ़िक्र देख कर
इस बार इम्तिहान
नहीं दे रहे हैं आप !
क्या ख़ुद की ही ज़ुबान प कुछ कम है एतबार
क्या इसलिए बयान नहीं दे रहे हैं आप !
जिन मश्वरों का आप को करना था एहतराम
उन मश्वरों प कान नहीं दे रहे हैं आप !
जो कर रहे हैं उसका बहुत शुक्रिया मगर
ऐसी भी कोई जान नहीं दे रहे हैं आप।