अपनी सी लगती ये कविताएं ..
अपनी सी लगती ये कविताएं ..
अपनी मातृभाषा में अपने मन का इक दर्पण सी ,
ये कविताएं लगने लगी हैं अब अपनी सी।
मन पटल पे अंकित सभी भावनाओं की एक झलकी सी ,
ये कविताएं लगनी लगी हैं अब अपनी सी।
सुन्दर शब्दों के एकत्रीकरण से एक स्पंदन करती सी ,
ये कविताएं लगने लगी हैं अब अपनी सी।
स्वयं में समाहित करके मन का हर बवंडर, अनूठी शान्ति देती सी,
ये कविताएं लगने लगी हैं अब अपनी सी।
दुनिया का हर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष राज़ आईने की तरफ साफ़-साफ़ दिखलाती सी ,
ये कविताएं लगने लगी हैं अब अपनी सी।
सटीक शब्दों के संग्रह से कमाल हज़ारों ,असंख्य जादू करती सी ,
ये कविताएं लगने लगी हैं अब अपनी सी।
अनजान इस दुनिया से जान-पहचान और दोस्ताना कराती सी,
ये कविताएं लगने लगी हैं अब अपनी सी।