इश्क की ज्योत
इश्क की ज्योत
तेरे इश्क का गहरा समंदर हूँ मैं,
तुझे दिल में समाना मैं चाहता हूँ ,
मेरे बेसूमार ईश्कमें तुझे डूबाकर,
तुझे इश्क की गज़ल मैं सुनाता हूँ ।
तेरे खयालों में डूबा रहता हूँ मैं,
तेरे मिलन को मैं याद करता हूँ ,
इन पलों को मेरे दिल में उतारकर,
तुझे इश्क की गजल मैं सुनाता हूँ ।
तेरे इश्क को रोशन करने के लिये मैं,
तेरे सपनों का ताज़ महल बनाता हूँ ,
संगमरमर की तेरी प्रतिमा बनाकर,
तुझे इश्क की गजल मैं सुनाता हूँ।
इश्क के रागों को बहा रहा हूँ मै,
गज़ल की बंदिश मधुर बनाता हूँ ,
इश्क की ज्योत दिल में जलाकर "मुरली",
तुझे इश्क की गज़ल मैं सुनाता हूँ ।