STORYMIRROR

Anita Sharma

Drama

4  

Anita Sharma

Drama

जिंदगी...फिल्म नहीं

जिंदगी...फिल्म नहीं

1 min
325

दुनिया की भीड़ में

तलाशती हैं आँखें

कभी अंधेरों में सपने,तो

कभी अपनों में अपने

ज़िन्दगी नेपथ्य में

मरते दम तक...


हमारे किरदारों को

जीवंत रखती है...

हम अभिनेता की तरह

पहन लेते हैं….


रोज़ नए मुखोटे

हाँ हँसते रोते कुढ़ते

क्रोध छल भी ढोते !

बस निभाना ज़िन्दगी में

हर किरदार है ज़रूरी


बिना नायक खलनायक 

जैसे हर फिल्म है अधूरी;

वक्त भी करवट बदलता है...

जाने किस रफ़्तार से चलता है !

जिंदगी हकीकत है फिल्म नहीं..

यहाँ पल-पल किरदार बदलता है !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama