मौसम
मौसम
वो कौन सा मौसम था
जब तुम मिले
जिंदगी के परिधान बदले
टूटे हुए घर बदले
बेखर आँखों में
दुनिया के दृश्य बदले।
बस तुम्हारी खूबसूरत आँखों में दुनिया
समाए हुए थी
न रात न दिन की परवाह थी
थी तो बस तुम्हारी ही बात थी।
कोई बात थी उस मौसम की
जिसने जिंदगी के चलन को बदला
सोई हुई रातों के जगने का
जाना पहचाना सलीका बदला।
टूटा नहीं था ख्वाब कोई
फिर भी जीने के लिए
मौसम बदला
उसकी यादों की बहती हुई हवा
दूर गुजर गई
और एक दिन एक अंतराल के बाद
फिर वही मौसम आया
जब हवा रुख फिर से बदला।