STORYMIRROR

PRADYUMNA AROTHIYA

Tragedy

3  

PRADYUMNA AROTHIYA

Tragedy

शब्द

शब्द

1 min
166


शब्द हैं

मगर अधूरे से हैं

किस गली किस मोड़ पर

ढूँढू उन्हें

तमाशे अपने ही बहुत से हैं


ये जल रहे दरवाजे

बाहर के रास्ते रुके से हैं

फिर भी बेपरवाह 

जिंदगी के लिए जिंदगी से दूर

गामक कदम से हैं


यूँ ही टूट रहे 

पुराने शब्दों के धागे

क्या वे बेबुनियाद से हैं

खुद से घबराते हैं

चिल्लाते हैं

क्या यही जिंदगी के हालात से हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy