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PRADYUMNA AROTHIYA

Others

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PRADYUMNA AROTHIYA

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घर छोटे थे

घर छोटे थे

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घर छोटे थे

मगर दिल बड़े थे।

तंग थे कमरे

मगर प्यार के 

अहसास में बंधे थे।।


दुःख छोटा था या बड़ा था,

इस बात से परे

दुःख बांटने को

हमदर्द बहुत थे।

जिंदगी के चलन में

हर कदम 

मुस्कुराहट के पल बहुत थे।।


भाषाओं की नमी में

रिश्तों के धागे अटूट बंधे थे।

मौसम बदले,

मगर ग्रीष्म ऋतु के दौर में भी

सम्मान के भाव सधे थे।।



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