STORYMIRROR

Aishani Aishani

Drama

4  

Aishani Aishani

Drama

कैसे जलाऊँ मै दीपक..!

कैसे जलाऊँ मै दीपक..!

1 min
299

कैसे जलाऊँ मैं

प्रेम के दीपक को

मेरा दीया तो मुझसे दूर है...! 

कैसे करूँ मैं


नेह की बाती को पूरित

और कहाँ से लाऊँ ज्योति 

 मेरे दोनों कर मजबूर है

द्वंध जारी है


मन और मस्तिष्क के बीच

एक कहता है

तुम्हें बिसरा दूँ

दूसरा विरोध करता है

तुम्हारे यादों की पूँजी को

संभालने को कहता है


एक उसे विसर्जित करने की

 सलाह देता है 

दूसरा कहता है 

कैसे विस्मृत कर दूँ

तुम्हारे यादों को...? 


तुम्हारे साथ बिताये उन

सुनहरे पलों को

यही यादें

मेरे लिए प्राणदायिनी हैं..! 

तुम्हारे यादों का स्पर्श

पुलकित करता है मुझे

मेरे एकांत का

साथी भी है सारथी भी....!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama