STORYMIRROR

A R

Abstract Drama Inspirational

4  

A R

Abstract Drama Inspirational

गुमनाम

गुमनाम

1 min
483

 बिखरे हुए रंगों से मैंने

 एक रंग की ख़्वाहिश की थी

 न रंग मिला न रंग बचा

 फ़िर किस बात की नुमाइश की थी


 जब डूब जाना बेहतर लगे

 उस एक कश्ती पर रहने से

 क्यों हम फिर भी तैर रहे

 क्या बच जाएंगे बहने से


 सीप मिली शीशा मिला है

 कुछ नए रंग उछलते से

 हम डूब रहे पर जिंदा हैं

 इस ठंडा पवन में जलने से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract