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Akanksha Rao

Abstract

4.9  

Akanksha Rao

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तुम

तुम

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312


मैं तिनका तिनका जोड़ा करूं

तुम बस उनको सम्भाल लेना,

मैं रातों में भी जगा करूं

बस सर पर हाथ फिरा देना।


मेरी कुछ बुरी आदतें हैं

चाहो तो उनको बदल देना,

मैं कभी गलत राह पर चलूं

सोचने से पहले सम्भाल लेना।


मैं हर राज़ बस तुम्हें बताऊं

और तुम उनको छुपा लेना,

जो मेरी गलती हो भी अगर

तो तुम उसको सुधार देना।


मैं जब भी लड़खड़ाने लगूं

तुम मुझको सम्भाल लेना,

चाहे जितना खफा हो जाओ

पर दिल में मुझे छुपाए रखना।


नज़रें मेरी धुंधली हो जब

मुझे रास्ता दिखाते रहना,

और मेरे अकेलेपन में भी

उजाला तुम बनाए रखना।


मैं पास रहूं या दूर कभी 

ये दूरियां मिटाएं रखना,

मैं ना भी चाहूं अगर कभी

तो भी नज़रें लगाए रखना।


रंग चाहे उड़ जाए मेरा

तब भी गले में सजाए रखना,

तुमसे कुछ ज्यादा मांग भी लूं

तो संतुलन तुम बनाए रखना।


चाहे जितनी मुश्किलें आ जाएं

विश्वास अपना बनाए रखना,

बस मेरे हर कदम के पीछे

सहारा अपना बनाए रखना।



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