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Drama Others
कोई आदत है
और अब वो कोई कहीं नहीं हैं
वो रहेगा पर यादों में
और अब वो यकीं मुझमें नहीं है
मेरी हिम्मत हौसला
सब का आधार था वो
अब उसकी हिम्मत है
पर मेरा वो आधार नहीं है
कोई था/है
हक़
कायल
गुमनाम
मौजूदगी
किसी रोज़
तुम
आवाज़
हक़ीक़त
बदलाव
मुझे जैसी छोटी बच्ची को जो गम दिखी वो उन बड़े लोगों को क्यों न दिखी ! मुझे जैसी छोटी बच्ची को जो गम दिखी वो उन बड़े लोगों को क्यों न दिखी !
इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी। इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी।
लंका में अग्निकांड भी मैं था लंका में अग्निकांड भी मैं था
मेरे हालात का क्या तुझे हैं पता ? आज तू मुझे सच में ये बता...! मेरे हालात का क्या तुझे हैं पता ? आज तू मुझे सच में ये बता...!
कुछ पाने की उम्मीद लेकर अंधेरे में ही चल देता है वो। कुछ पाने की उम्मीद लेकर अंधेरे में ही चल देता है वो।
जद्दोजहद इस, बात की है खुद से, की मैं खुदा से माँगू, या भगवान से माँगू...! जद्दोजहद इस, बात की है खुद से, की मैं खुदा से माँगू, या भगवान से माँगू...!
हाँ नही बनी मैं कविता के लिए इसलिए कथा लिख जाती हूँ। हाँ नही बनी मैं कविता के लिए इसलिए कथा लिख जाती हूँ।
इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है
मैं शीतल हूँ और चंचल भी, माँ के दिल का चैन भी हूँ, मैं गर्ला हूँ और चपला भी, मैं क्रोधित जलते नैन... मैं शीतल हूँ और चंचल भी, माँ के दिल का चैन भी हूँ, मैं गर्ला हूँ और चपला भी, ...
गर एक क्षण भी मिला नहीं हूँ, फिर सौ बार मिलूँगा मैं... गर एक क्षण भी मिला नहीं हूँ, फिर सौ बार मिलूँगा मैं...
अपने दिल की हर एक बात मुझसे ही तो साझा करती है कहने को तो रिश्ता बस दोस्ती का है अपने दिल की हर एक बात मुझसे ही तो साझा करती है कहने को तो रिश्ता बस दोस्ती...
यातनाएं सही तन और मन पर गहरी पीड़ा सही, यातनाएं सही तन और मन पर गहरी पीड़ा सही,
मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है, मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है,
चाहे कितना घनघोर अँधेरा छाया है कर्मवीरों ने अमावस को पूनम बनाया है। चाहे कितना घनघोर अँधेरा छाया है कर्मवीरों ने अमावस को पूनम बनाया है।
सो कर उठने पर लगता है सपना है शायद सो कर उठने पर लगता है सपना है शायद
अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर ! अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर !
किसी के आँसू पोछोगे जब, पास मुझे ही पाओगे...! किसी के आँसू पोछोगे जब, पास मुझे ही पाओगे...!
मुझ से क्या पूछते हो, पता इश्क़ की उन बस्तियों का, मैं ख़ुद भटका हुआ हूँ, उसकी वीराना गलियों में..... मुझ से क्या पूछते हो, पता इश्क़ की उन बस्तियों का, मैं ख़ुद भटका हुआ हूँ, उसकी...
थी मेरी भी एक दुनिया जिसमें, एक दोस्त से रंगत थी...! थी मेरी भी एक दुनिया जिसमें, एक दोस्त से रंगत थी...!
इस माटी में लावण्य-लालित्य ललना के सिंदूर हैं, शोक-विलाप करती विधवाओं के क्रंदन भरपूर इस माटी में लावण्य-लालित्य ललना के सिंदूर हैं, शोक-विलाप करती विधवाओं के क्रं...