भट्ठी में रहकर भी पकने में, कुछ वक़्त लगेगा जगने में ।। भट्ठी में रहकर भी पकने में, कुछ वक़्त लगेगा जगने में ।।
चढ़े फिर जो सूरज मैं लौट आऊं किसी रोज़....... चढ़े फिर जो सूरज मैं लौट आऊं किसी रोज़.......
अब कुछ और खोने का डर नही, जो कभी कहने को था मेरा। अब कुछ और खोने का डर नही, जो कभी कहने को था मेरा।