कुछ वक़्त लगेगा जगने में..
कुछ वक़्त लगेगा जगने में..
भट्ठी में रहकर भी पकने में,
कुछ वक़्त लगेगा जगने में।
बस तुम ही तो नहीं बैराग्य जिसे,
तुम वो भी नहीं हर सौभाग्य जिसे।
फिर क्यूं अपने को कोस रहे ?
औरों की उल्हन पोस रहे !
सत्य सनातन अडिग रहेगा,
तुम्हें तुम्हारा किया मिलेगा।
बस किये को अपनी जाया न करना,
बीते गीतों को फिर गाया न करना।
लोग तुमसे इतराएं जब, भौंहें हर बार उठाएं जब,
खुद की बातें वो छोड़ छाड़, तेरे मत्थे अड़ जाएं जब।
याद रहे ये समय नहीं विचलित हो कदम उठाने का,
ख़ाक में मिल अपनों को फिर, खून के आंसू रुलाने का।
मालिक ने भेजा यूं तो नहीं, के उसके मालिक खुद बन जाओ,
हैवान भी हैं इंसानी बस्ती में, पर खुद जल्लाद ना बन जाओ ।
तुम उसकी रचना में सर्वश्रेष्ठ, खुद आप विचारो अपने में,
तेरा भी तो एक दिन कामिल है, सपनों को जिंदा रख सपने में।
कोहरे जाड़े के देखे तो होंगे, सूरज भी रख लेता घेरे में,
पर जीवन है उसका जितना, सूरज को लगता तपने में।
भट्ठी में रहकर भी पकने में, कुछ वक़्त लगेगा जगने में ।।
