कुछ तो करना पड़ेगा ना...
कुछ तो करना पड़ेगा ना...


कभी मिले क्या खुद से ? अब तो वक़्त भी है।
कहते हैं ना मौका भी है और दस्तूर भी है।
कभी जानने की कोशिश की, तुम्हें क्या चाहिए ?
अगर जानते हो बहुत अच्छी बात है !
उसे फूलने फैलने दो, आगे पनपने दो।
और अगर नहीं जानते तो कुछ करना तो पड़ेगा,
कब तक खुद को छोड़ लोगों को जानते रहोगे?
कब तक खुद की उम्मीद में औरों को जोड़ते रहोगे?
कुछ करना तो पड़ेगा ना।
क्या करते हो सारा दिन, सारी रात ? सोचते हो ?
कुछ समझने की कोशिश करते हो ? किसीको सोचते हो ?
या किसीको समझने की कोशशों में सो जाते हो ?
अरे कुछ तो करते ही होगे ना, खैर,
गर्लफ्रेंड को याद करते हो या घर वालों को,
पर कितना ही याद कर सकते हैं उन्हें,
आखिर बात तो हमसे जुड़ी है ना,
अगर हम कुछ नहीं तो लोग उन्हें कैसे जानेंगे ?
कुछ तो सोचना होगा ना, क्या बोलते हो?
कुछ तो अच्छा करना होगा ना।
कुछ हम जैसे भी हैं ,नहीं सोच पाते, बुरी बात तो नहीं है।
अरे नहीं सोचते हम किसीके बारे में , गुनाह है क्या ?
नहीं ! बिलकुल नहीं है ! मगर साधारण भी कहां जान पड़ता है,
तुम अलग हो , मैं पागल या अमानवीय नहीं कह रहा,
बस अलग हो, औरों से बेहतर सोच सकते हो, ये कहना है।
आज पांच महीने होने को हैं , किसकी फिक्र है ?
जॉब जाने की, लीड खफा
होकर रेटिंग ना खराब कर दे इसकी ?
साहब नाराज हो जाएंगे और इज्जत कम हो जाएगी इसकी ?
या फिर अगर ये करने लगा तो लोग क्या कहेंगे ?
ना ही अकेले मुझे बल्कि घर वालों को , इसकी ?
दुनिया में उसने , तुम्हें जीने के लिए भेजा है दोस्त,तो जियो !
जीने का मतलब जानते हो ?
दीवानगी, मोहब्बत, इबादत, अकीदत कुछ भी, जो हो उसकी हद !
कहते हैं जिंदगी थम गई है कुछ दिनों से।
आसमां से मिले जमाना हो गया ।
सब कहने की बातें हैं, खुद को फुसलाने की ।
क्या ही कर लेते थे तुम, जब बंदिशें नहीं थीं ? सोचा है ?
कायदे नहीं थे, डर नहीं था, पाबंदियां नहीं थीं ।
दो लोगों से बात हो जाती होगी, कुछ झूठी हंसी तुम हसते होगे कुछ वो,
मानता हूं कुछ तुम्हारे बहुत करीबी रहे होंगे जो जेनुइन थे, अच्छी बात है,
किस्मत वाले हो तुम ऐसे रिश्ते बना पाए , लेकिन अगर नहीं,
तो कितना ही इन्वॉल्व कर पाते होगे खुद को किसीकी कहानी में ?
और हां करना भी क्यों ? कभी सोचा है ?
नहीं ? तो सोचो ! कुछ तो करना पड़ेगा ना !
ख्वाहिशें बहुत सी थी , मेरी भी थी, आपकी भी होंगी,
किसीके प्रोमोशंस के थे तो किसीके अच्छे रिश्ते के ।
सारी तो मटिया पलित हो गई, कुछ हो रहा है क्या ?
शायद नहीं , तो अल्टरनेटिव तो ढूंढने पड़ेंगे ना ?
इसीलिए तो कह रहे हैं, कुछ तो करना पड़ेगा ना ।