शून्यता -
शून्यता -
अब कुछ और खोने का डर नही,
जो कभी कहने को था मेरा
वो आज मेरे हैं ही नहीं।
जो श्रीफ नाम को कहते हैं "मेरे हैं वो"
बो सब आज पता नहीं है कहा।
बंद कमरो में रोना,
और हर चीज़ को मुंह बंद कर सह लेना,
मनो जो एक आदत सा बन गया था।
आज बो सब आदत अब और है नहीं
बहुत ही खुश हूं मैं अपने साथ
अब और किसी अन्य व्यक्ति की जरूरत नहीं है।
इस विशाल दुनिया में एक छोटा सा कोना
बना लिया है खुद के लिए,
अब और कुछ खाली सा भी लगता नहीं।
अब और किसी सहारा की ख़्वाब भी नहीं।
कुछ खालिसा अब और लगता नहीं
मैं ख़ुश हूं !
हां मैं ख़ुश हूं अपने साथ !!

