STORYMIRROR

Subhangee

Romance

3  

Subhangee

Romance

शून्यता -

शून्यता -

1 min
214

अब कुछ और खोने का डर नही,

जो कभी कहने को था मेरा

वो आज मेरे हैं ही नहीं।

जो श्रीफ नाम को कहते हैं "मेरे हैं वो" 

बो सब आज पता नहीं है कहा।

बंद कमरो में रोना,

और हर चीज़ को मुंह बंद कर सह लेना,

मनो जो एक आदत सा बन गया था।

आज बो सब आदत अब और है नहीं

बहुत ही खुश हूं मैं अपने साथ

अब और किसी अन्य व्यक्ति की जरूरत नहीं है।

इस विशाल दुनिया में एक छोटा सा कोना 

बना लिया है खुद के लिए,

अब और कुछ खाली सा भी लगता नहीं। 

अब और किसी सहारा की ख़्वाब भी नहीं।

कुछ खालिसा अब और लगता नहीं

मैं ख़ुश हूं !

हां मैं ख़ुश हूं अपने साथ !! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance