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गाय ने मदनलाल के घर के सामने गोबर कर दिया गाय ने मदनलाल के घर के सामने गोबर कर दिया
जाते जाते सोच रहा था कौन अब मेरे घर को खाना देगा जाते जाते सोच रहा था कौन अब मेरे घर को खाना देगा
मैं बारिश का लुत्फ़ उठाती हुई, गुनगुनाते हुए अपनी मंजिल की तरफ जा रही थी मैं बारिश का लुत्फ़ उठाती हुई, गुनगुनाते हुए अपनी मंजिल की तरफ जा रही थी
यात्रा जो दिल्ली की बारिश के साथ सम्पूर्ण हुई। फिर मिलेंगे एक नए यात्रा वृतांत के साथ। यात्रा जो दिल्ली की बारिश के साथ सम्पूर्ण हुई। फिर मिलेंगे एक नए यात्रा वृतां...
फिर क्यों इतराता है तू देख वक्त धीरे धीरे गुज़र रहा है फिर क्यों इतराता है तू देख वक्त धीरे धीरे गुज़र रहा है