नैनीताल यात्रा
नैनीताल यात्रा
मेरा पहला यात्रा वृत्तांत पढ़िए और बताए कैसा लगा कॉमेंट कर के।
नमस्कार मित्रों, मैं पूजा भारद्वाज आप सभीको एक यात्रा पर ले चलती हूं। ये यात्रा है नैनीताल और न्याय के देवता कहे जाने वाले श्री गोलू जी महाराज की जो की उत्तराखंड के जिला अल्मोड़ा में स्थित हैं।
आज हमें ( मुझे और मेरे पति परमेश्वर पंकज) नैनीताल जाना था,मैं बहुत एक्साइटेड थी, सुबह जल्दी उठी ,5बजे रास्ते के लिए आलू के पराठें बनाएं क्योंकि हम 6 -7 घंटे लगने वाले वाले थे, हम चल दिए ,एक अपनी जिंदगी में एक अध्याय जोड़ने जो हमारे जिंदगी की किताब में एक
नया खुशनुमा सुंदर पल लिखने के लिए तैयार था,
हमारी कार सरपट दौड़ती जा रही थी अपनी मंजिल की ओर बीजापुर पहुंच कर हम सब ने गरमा गर्म चाय की चुस्की ली और आलू के पराठें खाए और फिर चल दिए ,इस बीच रेडियो ने हमारा सफर और खुशनुमा बना दिया, किशोर दा के सुंदर गीतों के साथ गुन गुनाते हुए ,हमारी गाड़ी नैनीताल के घुमावदार रास्ते पर चली जा रही थी, गाना बज रहा था,
"ये हसी वादियां ये खुला आसमां आ गए हम कहां ए मेरी जाने जा"
पहाड़ियों और हरियाली के नज़ारे देखते हुए हम अपने होटल अर्ल्स कोर्ट पहुंच गए " जो की खुद एक ऐतिहासिक इतिहास रखता है "।
एक छोटी सी मगर खूबसूरत जगह। वेलकम ड्रिंक में गर्मागर्म सूप पी कर मज़ा आ गया था।
वहां एक सेलटी कलर की बिल्ली थी, जिसका नाम था चिंटू बड़ी सुंदर और खतरनाक आंखों वाली।
फिर हम दोनों अपने कमरे में गए ओर आराम किया। शाम को निकले मॉल रोड जो नैनी झील के किनारे है वहां का नज़ारा बहुत सुंदर था।
नव युगल जोड़े हाथों में हाथ लिए नौका विहार कर रहे थे खोए थे एक दूसरे की निगाहों में, माल रोड की वो चहल कदमी शाम का खुमार ही कुछ ओर था। नैना देवी मंदिर के दर्शन किए और फिर घूम कर हम होटल आए। देखा तो वहां अलाव जल रहा था।कई युगल जोड़े बैठे थे। बातचीत करने पर पता चला कि एक नया शादी का जोड़ा तो दूसरे जोड़े की शादी की पहली वर्षगांठ और तीसरे बुजुर्ग जोडा अपनी शादी की इकतालीस वीं वर्षगांठ मना रहे थे।फिर क्या था बोन फायर , केक काटा कपल डांस किया, डिनर किया ओर सर्दी की रात के आगोश में सोने के लिए चले गए और इस तरह एक दिन बीता।
सुबह जल्दी उठे क्योंकि हमें गोलू देवता जाना था नाश्ता किया और चल दिए अपनी दूसरी मंज़िल की ओर ,
इन घुमावदार रास्ते में एक रोमांच भी था तो डर भी था चलते हुए हमने कई भूस्खलन की वजह से बने संकरे रास्ते भी देखे और उनसे गुजरे भी, पहाड़ों से निकलते पानी के छोटे छोटे झरने उनसे निकलता दुधिया सफेद पानी और इतना ठंडा मानो बर्फ पिघल कर आ रही हो l ओर ठंडी हवा का झोंका मेरे कानों में कई राग घोल रहा हो ,रास्ते में हम ने पहाड की एक मिठाई खाई जिस का नाम था सिंघारी जो शुद्ध खोये से बनी थी। डरते घबराते और प्रकृति के सुंदर नजारे देखते हुऐ, हम अल्मोड़ा जिला पहुंचे जो पहाड़ियों पर विकसित था और कई रंगो से बने घर ऐसे लग रहे थे जैसे प्रकृति के सात रंग धरा पर आ गए हो। ऐसे प्रकृति के रंग बदलते हुए देख कर हम गोलू देवता पहुंच गए, वहां का दृश्य देखता बनता था वहां की मान्यता थी की जिस किसी की भी मनोकामना पूरी होती तो वहां वो घंटी बांधने आता था। मैंने देखा हजारों या लाखों की तादाद में घंटीयां बंधी थी। हमने पूजा की कुछ तस्वीरें खींची और वहां से निकल कर हम ने कैंची धाम दर्शन किए और अपने होटल आ गए। थोड़ा आराम किया फिर नीचे चले गए जहां अलाव जल रहा था काफी ठंड थी। लाइव संगीत चल रहा था गायक अपनी मधुर आवाज में "गुलाबी आंखे जो तेरी देखी" गा रहा था एकाएक मेरा दिल किया एक गाना गाने का मैंने गायक से अनुरोध किया फिर मैने अपना पसंदीदा गाना गाया। "अजीब दास्तां है ये कहां शुरू कहा खतम"
फिर हमने खाना खाया और सोने आ गए। सुबह उठते ही घर जाने के लिए तैयारी शुरू और ब्रेकफास्ट कर हम अब घर वापिसी के लिए निकल पड़े। ये थी नैनीताल की एक खुशनुमा यात्रा जो दिल्ली की बारिश के साथ सम्पूर्ण हुई।
फिर मिलेंगे एक नए यात्रा वृतांत के साथ।

