वक्त गुज़र जाएगा
वक्त गुज़र जाएगा
धर्म संकट में है इंसान
किस को पाना, किस से दूर जाना है
समय का चक्र चलता जा रहा है
फिर अपने पर मगरूर इंसान है
पांच तत्व से बनी इस काया
पर करता इतना गुरूर है
जो आज है कल नहीं
गुजर जाएगा इस काया का मोह जाल भी
फिर क्यों इतराता है
तू देख वक्त धीरे धीरे गुज़र रहा है
रोकना है तो गुजरते वक्त को रोक
जो किसी के लिए नहीं रुकता
जो जाने समय की अहमियत
समय उसका हो जाता है
पर जो गुज़र गया वो वापिस नहीं आता है
आहिस्ते आहिस्ते ये वक्त गुज़र रहा है
बस यादों की किताब में
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें जोड़ रहा है
रेत की तरह ज़िंदगी का पहिया फिसल रहा है
देखो धीमे धीमे वक्त गुज़र रहा है।