धन दो धान्य दो, नाती दो पोता दो और निरोगी काया दो धन दो धान्य दो, नाती दो पोता दो और निरोगी काया दो
वहीं स्वार्थ अपनी काया की माया संग भागता रहता है और असंतोष का मृदंग लिए। वहीं स्वार्थ अपनी काया की माया संग भागता रहता है और असंतोष का मृदंग लिए।
काम बढ़ने के साथ सबकी व्यस्तता भी बढ़ती गयी और फिर एक दिन ये सब हो गया। काम बढ़ने के साथ सबकी व्यस्तता भी बढ़ती गयी और फिर एक दिन ये सब हो गया।
इसी बीच अंजलि के कमरे में एक काली काया दिखाई देती है इसी बीच अंजलि के कमरे में एक काली काया दिखाई देती है
उसकी बात सुनकर सभी हंसने लग जाते हैं। और इसी के साथ मेरी कहानी यहीं पर समाप्त होती है उसकी बात सुनकर सभी हंसने लग जाते हैं। और इसी के साथ मेरी कहानी यहीं पर समाप्...
इस दौरान उसे सिर्फ उबला खाना दिया जाता था। इस दौरान उसे सिर्फ उबला खाना दिया जाता था।