विघ्नहर्ता का वरदान।
विघ्नहर्ता का वरदान।
एक गाँव में एक बुढ़िया अपने बेटे और बहू के साथ रहा करती थी। वह गणेश जी की बहुत बड़ी भक्त थी। गणेश जी उनकी भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बुढ़िया से एक वरदान मांगने को कहा। बुढ़िया ने गणेश जी से एक दिन का समय मांग लिया।
उसने सबसे पूछा तो-
बेटा बोला - “व्यापार के लिए नौ करोड़ी माया मांग ले।”
बहु बोली - “पोता माँग ले।”
सखी बोली- “तू इन सब का क्या करेगी? तू तो अपनी निरोगी काया मांग ले।”
बुढ़िया ने उस दिन बहुत सोचा, फिर जब गणेश जी प्रकट हुए तो बुढ़िया ने मांगा-
“धन दो धान्य दो, नाती दो पोता दो और निरोगी काया दो।”
गणेश जी मुस्कुराये और बोले - बूढ़ी अम्मा तुमने तो मुझे ठग लिया लेकिन अब तो मैं विवश हूँ। आपकी इच्छा पूर्ण होगी।
इतना कहकर वह अंतर्ध्यान हो गए।
यह कहानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रत्येक पूजा के अवसर पर सुनाई जाती है।
