लेखक : व्लादीमिर दाल् अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : व्लादीमिर दाल् अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
सभी संत, संत और महात्मा दुनिया के सबसे महान ठग हैं।" सभी संत, संत और महात्मा दुनिया के सबसे महान ठग हैं।"
धन दो धान्य दो, नाती दो पोता दो और निरोगी काया दो धन दो धान्य दो, नाती दो पोता दो और निरोगी काया दो
अब ठग का समस्त शस्त्र भण्डार समाप्त हो चुका था तो वो ठग चुप होकर बैठ गया। अब ठग का समस्त शस्त्र भण्डार समाप्त हो चुका था तो वो ठग चुप होकर बैठ गया।
अब तो पंडित जी को विश्वास हो जाता है कि सच में इस पर कोई भूत-प्रेत का साया है। अब तो पंडित जी को विश्वास हो जाता है कि सच में इस पर कोई भूत-प्रेत का साया है।
गिरफ्तार होने पर अमर ने बताया कि वह पहले भी इस तरह की घटना को अंजाम दे चुका है! गिरफ्तार होने पर अमर ने बताया कि वह पहले भी इस तरह की घटना को अंजाम दे चुका है!