उसे क्या पता था मैं लेखिका बनने के लिए नही लिख रही हूँ। उसे क्या पता था मैं लेखिका बनने के लिए नही लिख रही हूँ।
एक कसक एक खालीपन कहीं जैसे आकर बैठ गया हो जो कभी नहीं भरेगा। एक कसक एक खालीपन कहीं जैसे आकर बैठ गया हो जो कभी नहीं भरेगा।
बात नब्बे के दशक की है जब बोर्ड परीक्षा में पास होना बहुत बड़ी बात होती थी। बात नब्बे के दशक की है जब बोर्ड परीक्षा में पास होना बहुत बड़ी बात होती थी।
जानती है मैंने तेरा नाम उस्रा क्यों रखा?... क्योकि उस्रा का मतलब होता है "नई भोर! जानती है मैंने तेरा नाम उस्रा क्यों रखा?... क्योकि उस्रा का मतलब होता है "नई भोर...
उसका चेहरा सौरभ के परिवार का प्रेम पाकर गुलाबी हो गया। उसका चेहरा सौरभ के परिवार का प्रेम पाकर गुलाबी हो गया।
दूसरे दिन जब ज्योति आता, माँ के हज़ारों सवालों के सामने वह घुटने टेक देता ! दूसरे दिन जब ज्योति आता, माँ के हज़ारों सवालों के सामने वह घुटने टेक देता !