एक कसक एक खालीपन कहीं जैसे आकर बैठ गया हो जो कभी नहीं भरेगा।
दूसरे दिन जब ज्योति आता, माँ के हज़ारों सवालों के सामने वह घुटने टेक देता !
उसके हाथ में वही कंगन थी, जिसे मैंने आखिरी मुलाकात में उसे दिया था।
वह उस रात भूखा ही जमीन पर लेट गया वह रात भर ठंड के कारण सो भी ना सका !
उसका चित्र इतना सजीवता से बनाया हुआ था की आर्ट वर्क कंपनी ने उसे अपने यहाँ जॉब करने का
उधर लडके के पिता को कुछ लोगों ने समझाने-बुझाने की बहुत कोशिश की कोई फायदा नहीं हुआ !