लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
पेड़ नहीं रहे इस धरती पर, तो कैसा होगा यह जीवन? पेड़ नहीं रहे इस धरती पर, तो कैसा होगा यह जीवन?
तब समझ पाओगे ब्रह्माण्ड का वो अबूझ रहस्यऔर प्रकृति की निरंतरता का समीकरणजो जीवन के मूल से उठकर......... तब समझ पाओगे ब्रह्माण्ड का वो अबूझ रहस्यऔर प्रकृति की निरंतरता का समीकरणजो जीवन ...
चेतन-अवचेतन-अचेतन के इस 'म्यूचूअल-इंटरैक्शन' से हमारे अनुभवों का संसार सजता है चेतन-अवचेतन-अचेतन के इस 'म्यूचूअल-इंटरैक्शन' से हमारे अनुभवों का संसार सजता है
सौम्या, बेटा हो या बेटी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। सब अपने भाग्य से आते हैं, हम तो केवल माध्यम हैं। सच... सौम्या, बेटा हो या बेटी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। सब अपने भाग्य से आते हैं, हम तो...
रामायण एवं महाभारत हमार गौरवशाली इतिहास हैं, इन्हें पौराणिक ग्रंथ मत कहिए। रामायण एवं महाभारत हमार गौरवशाली इतिहास हैं, इन्हें पौराणिक ग्रंथ मत कहिए।