धर्म की बातें

धर्म की बातें

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"बच्चों, आज मैं आपको कुछ बातें बताऊंगा जो हर हिंदु को ज्ञात होनी चाहिए।"

"अवश्य, चाचाजी, वैसे भी हम हिन्दू बच्चों को अक्सर धर्म की अलग से शिक्षा कम ही दी जाती है।" चिंतित स्वर में चमन बोला।

"वह इसलिए कि हिन्दू जीवन शैली ही हिन्दू धर्म है। फिर भी आज से आप कुछ बातों का विशेष ध्यान रखेंगे, ठीक है ?"

"जी,अवश्य।" 

 किसी की मृत्यु होने पर RIP संदेश न लिखें।

 RIP का अर्थ है rest in peace । हिंदू धर्म में माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है। आत्मा अजर-अमर है। वह नश्वर नहीं है।

दफ़नाने वालों में किसी की मृत्यु के लिए रीप कहा जाता है।

हिन्दुओं को "ओम शांति", "सद्गति मिले", अथवा "मोक्ष प्राप्ति हो" का संदेश देना चाहिए। आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती ! आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिलता है ।


रामायण एवं महाभारत हमार गौरवशाली इतिहास हैं, इन्हें पौराणिक ग्रंथ मत कहिए। 

श्रीराम एवं श्रीकृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई पौराणिक चरित्र नहीं हैं।

इष्ट देवों का नाम आदर सहित लें, उन धारावाहिकों और फिल्मों का बहिष्कार करें जिनमें देवताओं का मज़ाक उड़ाया जाता है।  

हमारे मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें।

मंदिर देवालय होते हैं, जहां भगवान निवास करते हैं।वह प्रार्थनागृह नहीं होते ! मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती।

अन्य पूजा पद्धति में साप्ताहिक प्रार्थना होती है जबकि हिंदू धर्म में यह नित्य कर्म है। 

अपने जन्मदिन पर दीप बुझा कर अपशकुन न करें। अग्निदेव को बुझाना अच्छा शकुन नहीं होता। जन्मदिवस पर दीप जलाएं।

दीप की पूजा करें कहें ,तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात् हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं ।

हिंदू समस्त विश्व को दिव्यत्व पूर्ण मानते हैं।हमारे ऋषि- मुनी पहले वैज्ञानिक थे। सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है। यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हिदू धर्म का ही अंग है ।


"Sin" शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें ! हिंदू धर्म मे केवल धर्म ( कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार ) और अधर्म (जब धर्म पालन न हो) है ।पाप अधर्म का हिस्सा है ।

ध्यान के लिये 'meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें।

यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं ।

भगवान से डरें नहीं, प्रेम करें। 

क्योंकि भगवान चराचर मे विद्यमान हैं। वे सर्वशक्तिमान हैं। हम सब में भगवान का ही रूप है। अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला न कहिये बल्कि ईश्वर का उपासक कहिए।

आज का सबक यही है।अब से सभी प्रयास करेंगे,खुद भी पालन करें और औरों को भी बताएं।"

"जी, अवश्य।घर से ही शुरुआत होगी।"

"जय हिंद,बच्चों।"

"धन्यवाद चाचाजी और नमस्ते।"



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