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Gita Parihar

Inspirational

4.5  

Gita Parihar

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द्रौपदी मुर्मु

द्रौपदी मुर्मु

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देश की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का जन्म ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था।वह संथाल आदिवासी जातीय समूह से संबंध रखती हैं। उनके पिता एक किसान थे उनका नाम बिरांची नारायण टुडू था।उनके दो भाई हैं। भगत टुडू और सरैनी टुडू। 


उनका बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया।उनकी स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची। 


कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती और विवाह में परिणीती हुई।


 द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद 1994 से 1997 तक उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया था।


1997 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ीं।

राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया। 


2002 में मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। 2006 में उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। 2015 में द्रौपदी को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। 


राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के साथ ही वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनीं।वह राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं।


 1984 में छोटी बेटी की मौत और 2009 में 25 वर्षीय बेटे लक्ष्मण मुर्मू की रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हो गई।2013 में उनके दूसरे बेटे की मौत एक सड़क दुर्घटना में हो गई।तनाव और दुःख से उबरने के लिए द्रौपदी राजस्थान के माउंट आबू स्थित ब्रह्कुमारी संस्थान में जाने लगीं। दो बेटों की मौत का दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था कि 2014 में उनके पति श्यामाचरण मुर्मू की भी दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।अब द्रौपदी के परिवार में केवल बेटी इतिश्री मुर्मू हैं। इतिश्री बैंक में नौकरी करती हैं।



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