Sumit Mandhana

Children Stories

4.5  

Sumit Mandhana

Children Stories

" पंडित, बकरी और तीन बदमाश "

" पंडित, बकरी और तीन बदमाश "

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एक बार एक पंडित जी एक सेठ जी के घर पर हवन करवाने जाते हैं । वहां पर हवन हो जाने के बाद दक्षिणा में सेठ जी उन्हें थोड़ा सामान , नगद रुपये और एक बकरी का बच्चा देते हैं। पंडित जी दक्षिणा से मिला हुआ सारा सामान और वह बकरी का बच्चा लेकर वहां से अपने गांव लौट जाते हैं । रास्ते में उन्हें तीन बदमाश देख लेते हैं। वे सोचते हैं कि हम इस भोले भाले पंडित को पहले मूर्ख बनाएंगे । फिर इसका सारा सामान और बकरी का बच्चा दोनों लूट लेंगे। यही सोचकर व तीनों मिलकर एक षड्यंत्र बनाते हैं और एक-एक करके पंडित जी के पास जाते हैं।   

सबसे पहले एक बदमाश जाकर पंडित जी को राम राम करता है और कहता है इस गधे को गोद में लेकर क्यों जा रहे हो?

पंडित जी कहते है -"यह गधा नहीं, बकरी का बच्चा है! "

बदमाश कहता है- "अरे क्या पंडित जी , आप पंडित होकर झूठ बोलते हो यह गधा ही है । साफ तो दिख रहा है! अब तो पंडित जी को उस पर बहुत गुस्सा आता है । वे उसे डांट कर भगा देते हैं।"   

दूसरा बदमाश भी जाकर यही कहता है ।

बदमाश- "पंडित जी राम राम। आप इस बछड़े को लेकर कहां जा रहे हो? "

पंडित जी तो पहले ही गुस्से में होते हैं । वह बोलते हैं - "देखिए आप अपनी आंखों का इलाज करवाएं । आपकी आंखों में कुछ तकलीफ हुई है। यह बछड़ा नहीं है बकरी का बच्चा है ।" 

पर वह बदमाश भी यही कहता है कि - "आप पंडित होकर झूठ बोल रहे हो यह बछड़ा है मुझे साफ दिखाई दे रहा है"। पंडित जी को बहुत गुस्सा आता है वे उसे भी भगा देते हैं । 

लेकिन वह सोच में पड़ जाते हैं कि क्या बात है आज मुझे ऐसे कैसे लोग मिल रहे हैं कि उन्हें बकरी का बच्चा गधा और बछड़ा नजर आ रहा है। अब तो उन्हें भी थोड़ा डर लगने लगता है कि कहीं सच में यह बकरी का बच्चा कोई भूत तो नहीं है ।   

अब बारी थी तीसरे बदमाश कि वह तो आता है और राम-राम भी नहीं करता और जोर जोर से हंसने लगता है और कहता है - "पंडित जी मैंने आप से बड़ा मूर्ख आज तक नहीं देखा!" 

पंडित जी तो गुस्से से आगबबूला हो जाते हैं। वे क्रोधित स्वर में ही पूछते है "क्या मतलब है तुम्हारा? "

वह कहता है - "इस गधे को अपने सर पर उठाकर ले जा रहे हो ? "

पंडित जी - "क्या तुम्हें मेरे हाथों में बकरी का बच्चा नहीं दिखाई देता ? "

तो वह कहता है - "आपके हाथ तो खाली है पर आपके सिर के ऊपर एक गधा बैठा है यह दिखाई दे रहा है। "

अब तो पंडित जी को विश्वास हो जाता है कि सच में इस पर कोई भूत-प्रेत का साया है। वे उस बकरी के बच्चे को वहीं पर छोड़ कर भाग जाते हैं। तीनों बदमाश ठहाके लगाकर हंसते हैं और बकरी के बच्चे को लेकर वहां से चले जाते हैं।   वास्तव में यह पंडित जी की एक चाल होती है। उन्हें पता चल जाता है कि यह तीनों मिले हुए हैं और मुझे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मैं भी इन्हें यह बता दूंगा कि पंडित मूर्ख नहीं महा चतुर होते हैं। फिर वे एक बड़े घने पेड़ के ऊपर छिप कर बैठ जाते हैं ।   

जब तीनों बदमाश उस बकरी के बच्चे को लेकर वहां से जा रहे होते हैं तो वह जोर से चिल्लाते हैं। बड़ी ही डरावनी आवाजें निकालते हैं जिससे तीनों बदमाश डर जाते हैं । फिर वह आवाज बदलकर कहते हैं कि मैं इस बकरी की मां हूं। जिस पंडित से तुमने इसे छीना था वह कोई पंडित नहीं था । वह एक डाकू था जो भेष बदल कर पंडित बना हुआ था । उसने मुझे मार कर मेरे बच्चे को मुझसे छीन लिया था । तुमने उसे तो भगा दिया, अब मैं अपनी मौत का बदला तुम तीनों को मार कर तुमसे लूंगी । 

यह सुनकर तीनों बदमाश बुरी तरह से घबरा जाते हैं और बकरी के बच्चे को वहीं पर फेंक कर बेतहाशा भागते हैं। पंडित जी बाद में नीचे उतर कर आते हैं और अपने प्यारे से बकरी के बच्चे को गोद में लेकर अपने गांव लौट जाते हैं। 


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