" बाहुबली v/s अलेक्जेंडर तीसरा विश्वयुद्ध "
" बाहुबली v/s अलेक्जेंडर तीसरा विश्वयुद्ध "
दोस्तों आज से हमारे नॉनस्टॉप नवंबर का एंड हो रहा है और दुनिया का एंड भी होने वाला है! जब दो महायोद्धा एलेग्जेंडर और बाहुबली टकराएंगे तो विश्वयुद्ध तो होकर ही रहेगा! चलिए तो कहानी शुरू करते हैं।
भल्लालदेव बाहुबली को मारने के लिए कटप्पा को भेजता है। कटप्पा धोखे से बाहुबली को मार देता है। लेकिन बाहुबली बच जाते है। इस बात की वजह से भल्लालदेव को बहुत गुस्सा आता है । वह मदद लेने सीधा पहुंच जाता है महान शाशक एलेग्जेंडर के पास। वो उनसे निवेदन करता है कि आप बाहुबली को युद्ध में हरा दीजिए और जान से मार दीजिए । लेकिन अलेक्जेंडर यह बात जानते थे कि बाहुबली बहुत ही सशक्त व ताकतवर है । उन्हें मारना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। फिर भी वह भल्लालदेव की मदद करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
अलेक्जेंडर का नाम सुनकर ही दूसरे देश भी चुपचाप उनकी मदद के लिए आ जाते हैं। अलेक्जेंडर पोरस से भी कहते हैं कि अब तुम हमारे मित्र बन चुके हो, हमारी मदद करो। लेकिन पोरस कहते हैं - नहीं मैं बाहुबली का ही साथ दूंगा ।एक तरफ अलेक्जेंडर दूसरी और बाहुबली! जो एलेग्जेंडर से डरते थे और उन्हें अपना शक्तिशाली राजा मानते थे, वे उनके साथ हो जाते हैं। जो सच्चाई का साथ देने में विश्वास करते थे , बाहुबली के साथ आ जाते हैं। इस तरह देखते देखते पूरा विश्व दो जूट में बंट जाता है ।
यह युद्ध काफी लंबा चलता है । बड़ा ही भीषण और भयानक रूप ले लेता है और तीसरे विश्वयुद्ध में तब्दील हो जाता है । कितने ही वर्षों तक यह युद्ध चलता है। अनगिनत मासूमों की इसमें जान चली जाती है। कितनी स्त्रियां विधवा हो जाती है। माताएं अपने बच्चों को खो देती है। भल्लालदेव समेत बाकी सारे राजा भी मारे जाते हैं।
इतनी तबाही होने के बाद भी बाहुबली हार जाते हैं। अलेक्जेंडर बाहुबली को पराजित कर देते हैं । अलेक्जेंडर बाहुबली से पूछते हैं मैं तुम्हें क्या सजा दूं? बाहुबली निडरता के साथ कहते है कि मेरे साथ वही व्यवहार करो जो एक राजा को दूसरे राजा के साथ करना चाहिए।
अलेक्जेंडर बाहुबली के मुख से इस जवाब को सुनने के बाद बहुत ज्यादा प्रभावित होते है। वे उनसे कहते हैं कि आप सच में बहुत ही शक्तिशाली , निडर और बल्शाली राजा हो । जब तक देश में आपके जैसे महान योद्धा रहेंगे तब तक आपके देश का बाल भी बांका नहीं हो सकता। आप के आगे सिकंदर भी अपना सर झुकाता है और हार मानता है और मैं खुशी-खुशी आपको आपका राज्य लौटाता हूं । इतना क्या करें उन्हें उनका राज्य फिर से सौंप कर वे हमेशा हमेशा के लिए चले जाते हैं।कहानी यहीं पर समाप्त हो जाती है।