" विक्रम बेताल इन मॉडर्न टाइम्स "
" विक्रम बेताल इन मॉडर्न टाइम्स "
दोस्तों हमारा आज का विषय बड़ा ही मजेदार है। थोड़ा डरावना, थोड़ा लुभावना है! खौफ और डर से ले जाते हुए मैं आपको हास्य तक लेकर जाऊंगा। विक्रम बेताल की कहानी तो सभी सुनते आए है। मैं आज आपको नये तरीके से विक्रम बेताल की कहानी बताने जा रहा हूं। चलिए तो कहानी शुरू करते हैं।
हमेशा की तरह एक बार फिर बेताल राजा विक्रमादित्य के कंधे से उड़कर श्मशान घाट के एक पीपल के पेड़ पर जाकर लटक जाता है। चारों तरफ घोर अंधेरा होता है। उल्लू और चमगादड़ भयानक आवाज कर रहे होते हैं। कुत्ते जोर-जोर से आउ .........आउ.......... करके रो रहे होते हैं। काली बिल्लियों की आंखें अंधेरे में भी टीम टीमा रही होती है।
फिर राजा विक्रमादित्य बेताल को पेड़ पर से नीचे उतार कर अपने कंधे पर रखकर चलने लगते हैं।बेताल विक्रमादित्य से बोलता है कि विक्रम तूने मुझे नीचे तो उतार लिया। अब मैं तुझे एक कहानी सुनाता हूँ और अगर तूने उसका जवाब नहीं दिया तो तेरे सर के हजार टुकडे हो जाएंगे।
सुन विक्रम, एक 2Bhk फ्लैट में हस्बैंड वाइफ अपने दोनों चिल्ड्रन के साथ रहते थे। राजा विक्रम सोच में पड़ जाते हैं। आज बेताल अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल क्यों कर रहा है ?फिर वह समझ जाते हैं कि शायद यह एक आधुनिक कहानी है इसलिए!
बेताल कहानी आगे सुनाता है और कहता है कि हस्बैंड वाइफ की और दोनों बच्चों की सारी डिमान्ड पूरी करता था। उनके बीच में छोटे-मोटी फाइट भी होती थी । लेकिन एक दिन उसकी पत्नी उससे झगड़ा करके उसे घर से बाहर निकलने पर विवश कर देती है। वह चुपचाप वहां से चला जाता है। लेकिन जब वह लौटने का प्रयास करता है तो वह कहती है कि तू वापिस नहीं आ सकता। तूने यह घर मेरे नाम पर किया था ना। इसलिए अब इस घर की मालकिन मैं हूं। इसलिए मैं तुझे इस घर में आने नहीं दूंगी।
उसका पति कहता है कि कम से कम वो सोने के गहने तो मुझे वापस दे दो। जो मैंने तुम्हें शादी पर दिये थे क्योंकि उसे बेचकर मैं अपने रहने का और खाने पीने का बंदोबस्त तो कर पाऊंगा। लेकिन वह बोलती है वह तो स्त्री धन है। वह तुझे कभी नहीं मिलेगा।अब तू बता विक्रम इस कहानी में पति और पत्नी दोनों में गलत कौन है। विक्रम अगर तू बोला तो मैं उड़ जाऊंगा। लेकिन अगर तुझे जवाब पता हुआ फिर भी तूने नहीं बताया तो तेरे सर के हजार टुकडे हो जाएंगे। बता विक्रम बता जल्दी बता!
विक्रमादित्य बोलते हैं - सुन बेताल उसके पत्नी की बात सही है कि वह स्त्री धन है। लेकिन वह स्त्री धन तब तक ही कहलाता है जब तक वह अपने पति के साथ रहती है। जो स्त्री अपने पति को घर से बाहर निकाल दे और और उसके मेहनत के बनाये हुए घर पर अपना अधिकार जमाए तो वही गलत है।
पति ने उसे घर की मालकिन अपने प्रेम के वश बनाया था। लेकिन लोभ में आकर उसने अपने पति को ही घर से निकाल दिया ! उसके पति को न्यायालय में जाकर उलाहना करनी चाहिए। जो अपने पति के मेहनत से बसाए हुए घर पर अनायास ही अपना अधिकार जमाए ऐसी पत्नी को तो दंड अवश्य मिलना चाहिए।
बेताल खुश हो जाता है और कहता है, वाह विक्रम वाह! न्याय करने में कोई तुझे नहीं हरा सकता। मैंने तुझसे बड़ा न्याय प्रिय राजा नहीं देखा। लेकिन तूने भूल की तू फिर बोल उठा। मैंने तुझे कहा था तू बोलेगा और मैं उड़ जाऊंगा, मैं चला बेताल उड़कर बहुत ऊंचे पेड़ पर जाकर बैठ जाता है।
इस बार महाराज विक्रमादित्य अपनी जेब में से मोबाइल निकालते हैं और एक सो एक नंबर डायल करके फायर ब्रिगेड को बुलाते हैं। फायर ब्रिगेड वाले क्रेन से बेताल को नीचे उतारते है। फिर वे पुलिस को बुलाते है। बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ इंस्पेक्टर बाजीराव सिंघम की एंट्री होती है। बाजीराव एक झपट्टा मारकर बेताल को बेहोश कर देते है। फिर हथकड़ी लगाकर अपनी जीप में डालकर महाराजा विक्रमादित्य के साथ बेताल को वहां से लेकर चले जाते हैं। वे बेताल से कहते हैं अता माझी सटकली ! इतना कहकर वह उसे लॉकअप में बंद कर देते हैं और कहते हैं अब यह उड़ना चाहे तो भी सिर्फ लॉकअप के अंदर ही उड़ सकता है!!

