काश !
काश !
काश कोई हसीन
हमसे भी मोहब्बत करता
काश हमारे लिए भी
कोई बग़ावत करता
चाहते हम भी
टूट कर उसको
दिल क्या चीज़ है
मिटा भी देते ख़ुद को
साथ भी उसका
इतना हसीन होता
कि ख़्याल से ही जिसके
मेरा जहांं रंगीन होता
होंठ होते उसके
इतने सुर्ख़ गुलाबी यारों
छु ले इक बार जो
तो बन जाऊँ मैं शराबी यारों
ऐसा इश्क़दार जो
मुझे मिल जाए कहीं
ज़िंदगानी ये कर दूँ
मैं उसके नाम वहीं...!