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VIDYA BARGODE

Drama Classics

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VIDYA BARGODE

Drama Classics

मोह- माया

मोह- माया

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कुछ नहीं हैं प्यार- व्यार

सब मोह- माया हैं

अपने स्वार्थ के आगे 

कोई कभी जीत पाया हैं ?


लाख करले कोई किसीके लिये,

हमेशा खुद को आगे पाया हैं

कुछ नहीं हैं प्यार- व्यार

सब मोह- माया हैं


अपनो इस नगरी में

हर कोई पराया हैं

कुछ नहीं है प्यार- व्यार

बस सब मोह- माया हैं।


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