माँ
माँ
तेरे क़दमों मे सब जन्नतें हैं मेरी
तेरे आआँचल मे हर खुशी है मेरी
तेरी गोद मे ए माँ कुछ सुकून है ऐसे
हर गम भुला दे जो, कोइ जादू हो जैसे
खुद रो कर भी तुने मुझ्को हँसाया
उँगली पकड़ कर चलना सिखया
जब ठोकर लगी तब भी तूने उठाया
आज खुद अपने बल पर चलता हूँ मैं
हर ठोकर से खुद ही संभलता हूँ मैं
पर आज भी जब चोट लग है माँ
ये नज़र तुझको ही ढून्ढती है माँ
तू है तो मैं हूँ
तुझसे ही मेरा वजूद है माँ
मैं जानता नहीं कि कोई ख़ुदा है भी या नहीं
मेरे लिए तो तु हि हर ख़ुदा है माँ !