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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Drama

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Drama

ढोलकें पीटती थापें

ढोलकें पीटती थापें

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ढोलकें पीटती थापें,

मनोहर गीतकी साजे,


खुशियों से भरी गठरी,

खुल कर बन्ना गावें।


अधरों के बीच सुर,

थापों पर रंग चढ़ाते,


बहिनी एक और गा दे,

विरहा या मिलन सुना दे।


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