" श्यामा "( part -2)
" श्यामा "( part -2)
एक श्यामा,
काली है,
कुबड़ी है,
दो पैरो से,
रेंगती,
दर्शन करने चली,
दूर है,
'मां' का दरबार,
'मां ' की प्रार्थना करती,
सब के लिए,
सुख, शांति मांगती,
पर,
कोई मददगार नहीं!,
एक छेल छबीला,
नव युवा,
हाथ में झोला,
पहनी है जिन्स,
साथ में जर्सी,
जय माता दी,
बोलता,
आगे बढ़ता,
अपनी चिंता में,
अपनी " मां " का,
वचन पूरा करने,
' मां ' का दर्शन,
करने आया,
अपनी मस्ती में,
जा रहा था नव युवा,
नाम भार्गव,
शंकर भक्त,
' मां' का
दर्शन,
भावपूर्ण करने,
चला,
चलता अपनी मस्ती में,
अचानक देखा,
एक
काली
कुबड़ी,
लड़की को,
मदद का इंतजार करती,
सेवा परायण,
दयालु,
अपनी मां का,
संस्कार,
गरीब और अनाथ का,
मददगार बनना,
दया धर्म का,
बोलता,
मदद के लिए,
श्यामा के पास गया,
एक श्यामा,
काली है,
कुबड़ी है,
कौन है श्यामा?,
( part-3 में क्या श्यामा को भार्गव मदद करेगा ? मां का दर्शन करने ले जायेगा ? वहां क्या होगा?..
कौन है श्यामा ? जानने के लिए पढ़िए " श्यामा " काव्य शैली में एक कहानी।