Kaushik Dave
Fantasy Others
तेरी तस्वीर तेरी एक तस्वीर बनाना चाहता हूंचाहत की उम्मीद के साथ देख रहा हूं। देख रही है तुम मुझे, कुछ कहना चाहती हो?तेरी तस्वीर में मेरी कहानी लिख रहा हूं। - Kaushik Dave
तेरी तस्वीर
"आधा सच"
पुरानी यादें
यादों का पिंज...
आज की मॉं
कैसे कैसे लोग
सर्दियों में ...
अफवाह
काल्पनिक युद्...
जीवन की परीक्...
तेरे ख्वाबों का मैं आसमां मेरे मन की तू प्रिय धरा है। तेरे ख्वाबों का मैं आसमां मेरे मन की तू प्रिय धरा है।
मधम से बयां करते ख़ामोश सलीके हैं, नर्म अंदाज़ हैं ये। मधम से बयां करते ख़ामोश सलीके हैं, नर्म अंदाज़ हैं ये।
कभी पवित्र मैं बन जाती हूं, कभी मैली मैं हो जाती हूं, कभी पवित्र मैं बन जाती हूं, कभी मैली मैं हो जाती हूं,
सोचने-समझने की शक्ति बढ़ती, जब पार्क घूमने जाते है सोचने-समझने की शक्ति बढ़ती, जब पार्क घूमने जाते है
झूठ और सच को पहचान पाऊँ मैं, कोई दर्पण ऐसा पाऊँ मैं। झूठ और सच को पहचान पाऊँ मैं, कोई दर्पण ऐसा पाऊँ मैं।
बिछ जाऊँगी बन पथ गामिनी, जब वो आएंगे मेरे पास। बिछ जाऊँगी बन पथ गामिनी, जब वो आएंगे मेरे पास।
मेहनत से तो बचते-फिरते, औरों का जीना हराम करते हो।। मेहनत से तो बचते-फिरते, औरों का जीना हराम करते हो।।
पीछे की ओर ताकते रहना जैसे एक धुंध जो जमी हो ख्यालों में पीछे की ओर ताकते रहना जैसे एक धुंध जो जमी हो ख्यालों में
हर सितम को गले लगाना पड़ता है तो जिंदगी मेरा भी सँवर गया होता हर सितम को गले लगाना पड़ता है तो जिंदगी मेरा भी सँवर गया होता
दफ्तर की हर कुर्सी पर पिशाच जो काबिज़ था ! दफ्तर की हर कुर्सी पर पिशाच जो काबिज़ था !
जाएगा जब इस जहां से, फिर ना वापस आएगा।। जाएगा जब इस जहां से, फिर ना वापस आएगा।।
मौन खड़े हैं भीष्म द्रोण सब, दाँव अनूठा चला गया है। मौन खड़े हैं भीष्म द्रोण सब, दाँव अनूठा चला गया है।
और प्रभु के साथ मिलकर एक चिरस्थायी शांति पाएंगे। और प्रभु के साथ मिलकर एक चिरस्थायी शांति पाएंगे।
सपना एक दिन सब की, जन जागृति से ही पूरा हो पाएगा। सपना एक दिन सब की, जन जागृति से ही पूरा हो पाएगा।
अलसाई सी, अभी नींद में, अँखियाँ मैंने, थीं, खोलीं। अलसाई सी, अभी नींद में, अँखियाँ मैंने, थीं, खोलीं।
हिंदी है हिंदूत्व का प्राण हमारी भाषा, हमारी जान हिंदी है हिन्दुस्तान की पहचान। हिंदी है हिंदूत्व का प्राण हमारी भाषा, हमारी जान हिंदी है हिन्दुस्तान की प...
रूठि गयी वृषभानु लली जब प्रेम सुधा सरसावत हैं। रूठि गयी वृषभानु लली जब प्रेम सुधा सरसावत हैं।
जो देखे आज़म को वफ़ा से हमेशा ख़ुदा कोई ऐसी नजरें चाहता हूँ। जो देखे आज़म को वफ़ा से हमेशा ख़ुदा कोई ऐसी नजरें चाहता हूँ।
न आराध्य की आराधना में हिय विलीन स्व-मंथना में।। न आराध्य की आराधना में हिय विलीन स्व-मंथना में।।
क्या है तेरी मोहब्बत, उसके इंतखाब क्या है। क्या है तेरी मोहब्बत, उसके इंतखाब क्या है।