यादों का पिंजरा "
यादों का पिंजरा "
एक खिड़की आधी खुली है
एक मन भी आधा अधूरा है
यादों में खो ना, यादों में पाना
यादों के पिंजरे को देखना
खिड़की में से झांकते हैं हम
यादों को टटोलने जाते हैं
हमारी यादों में बंद हो जाते
यादों में कहीं खो जाते
यादों के पिंजरे से बाहर आना
जिंदगी के हालात को देखना
यादों को याद कर दुःखी मत होना
वर्तमान में ही हमें जीना
कहां खुलीं है मन की खिड़की
मन भी खिलता सुंदर यादों से
सुंदर यादों को ही याद रखना
खुशियां ही खुशियां लेकर आना