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gyayak jain

Drama

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gyayak jain

Drama

बनना ऐसे तुम विरले

बनना ऐसे तुम विरले

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हो मन अशांत, या खुशियाँ तुम्हारी चर्मोत्कर्ष हों

सबका होवे साथ, या रास्ते वीराने प्रबल हों

काबू जो खुद को करले, बनना ऐसे तुम विरले।


हो ना मार्ग एक, या हों विकल्प अनेक

चाहे वो अंधकार घना हो, या कंचन सी पावन वर्गणा हों

उन पक्ष को समकक्ष जो करले, बनना ऐसे तुम विरले।


हों घड़ियाँ बहुत पडीं, या सुलझने को कड़ियाँ खड़ी

गंतव्य कि इस चाह में, या जीवन की गतिमय नाव में

स्वेच्छा को साकार जो कर दे, बनना ऐसे तुम विरले।


-gyayak


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