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gyayak jain

Abstract Inspirational

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gyayak jain

Abstract Inspirational

शहर की बरसात

शहर की बरसात

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वर्षा की शुरुआत से, साँझ में बेजान से पड़े रास्तों के बीच, सहमी सी जान को देखा है

मैंने शहर की शोंधी सी खुशबु में, एक भीगा सा ठहराव देखा है।


कहीं ठोस होती संवेदनायें, कहीं भाप हो रही प्रतिक्रियाओं को देखा है

मैंने नम होती मिट्टी, और रिश्तों में एक कसाव देखा है।


एक अलग दुनिया है सबकी, वहाँ गुम हो रहा गाँव देखा है

मैंने छोटी-छोटी बूँदों से भीगती इमारतों का नजारा, और

मनमुटाव का छलकता तालाब देखा है।


नफरत से बनी क्यारी, और मतलब का प्यारा सजा बागान देखा है

मैंने पौधों पर ठहरी सुंदर चमकती बूंदें, और संस्कृति पर हो रहा वार देखा है।


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