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Deepak Shrivastava

Abstract

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Deepak Shrivastava

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शादी का सपना

शादी का सपना

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हंसी ख़ुशी जीने का

एक सपना

पालता है जवान 

करता है शादी

ख़ुशी खुशी

मिलती है

जब एक कुड़ी

सुंदरी बाला मुस्कान

शादी करके कर देता

सब उसपे कुर्बान

बीबी को खुश करने

की खातिर कर देता

जीवन तमाम 

बन जाता है

उसका गुलाम

माँ बाप बहन

भाई को तज

कर लेता अपनी

राह अलग

जिसकी खातिर

करता ये सब

कर देती वो उसको

हैरान परेशान

बात बात मे

नखरे करना

बन जाति उसकी

आदत सूबह शाम

नखरे उठाते उठाते

हो जाता उसका

जीना हराम

नहीं तो होते

झगडे तमाम

आदमी की जिंदगी

बन जाती

कूड़ा समान

जवानी का सपना

जब टूटता

माँ बाप छुटते

बहन भाई रूठते

रहता नहीं कुछ उसके साथ

पछताने के अलावा

रहता नहीं कुछ तब

उसके हाथ।


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