एक पन्ना
एक पन्ना
वो एक पन्ना ज़िंदगी का तेरे नाम जो है फाड़ना चाहती हूँ,
मगर वो पन्ने के बिना सारे पन्ने बिखर जाएंगे ये मैं जानती हूँ ।
तू आया ज़िंदगी में लिखी है उस पन्ने में हमारी वो पूरी दास्तान,
मिटाना चाहती हूँ उस स्याही को मगर रह जाएंगे फिर भी निशान।
वो एक पन्ने की हमारी अधूरी कहानी को पूरी करके किताब भरूँगी,
उठे है 'ज़ोया' के दिल में जो सवाल उसके जवाब आवाम से पूछूँगी।
वो एक पन्ना लिखा है तूने प्यार के रंगों से इसलिए है वो रंगीन,
बाकी के कोरे कागज़ मेरे अश्कों की स्याही से होंगे नमकीन।