Arun Pradeep

Abstract

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Arun Pradeep

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प्रणय

प्रणय

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एक गुरुत्वाकर्षण बल 

जो रहे कार्यरत

दो ग्रहों के मध्य सतत 

और जाने न दे 

कक्षा के बाहर दशकों तक 


एक पूर्ण कृष्ण -पिंड 

जो लगातार करे शोषित 

सभी दुर्गुण भौतिक


एक शाश्वत यन्त्र 

जो रहता कार्यशील 

स्व ऊर्जा से 

बिना अपेक्षाओं के 

युगों युगों तक।



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