प्रणय
प्रणय
एक गुरुत्वाकर्षण बल
जो रहे कार्यरत
दो ग्रहों के मध्य सतत
और जाने न दे
कक्षा के बाहर दशकों तक
एक पूर्ण कृष्ण -पिंड
जो लगातार करे शोषित
सभी दुर्गुण भौतिक
एक शाश्वत यन्त्र
जो रहता कार्यशील
स्व ऊर्जा से
बिना अपेक्षाओं के
युगों युगों तक।
एक गुरुत्वाकर्षण बल
जो रहे कार्यरत
दो ग्रहों के मध्य सतत
और जाने न दे
कक्षा के बाहर दशकों तक
एक पूर्ण कृष्ण -पिंड
जो लगातार करे शोषित
सभी दुर्गुण भौतिक
एक शाश्वत यन्त्र
जो रहता कार्यशील
स्व ऊर्जा से
बिना अपेक्षाओं के
युगों युगों तक।