STORYMIRROR

Arun Pradeep

Abstract

4  

Arun Pradeep

Abstract

प्रणय

प्रणय

1 min
273



एक गुरुत्वाकर्षण बल 

जो रहे कार्यरत

दो ग्रहों के मध्य सतत 

और जाने न दे 

कक्षा के बाहर दशकों तक 


एक पूर्ण कृष्ण -पिंड 

जो लगातार करे शोषित 

सभी दुर्गुण भौतिक


एक शाश्वत यन्त्र 

जो रहता कार्यशील 

स्व ऊर्जा से 

बिना अपेक्षाओं के 

युगों युगों तक।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract