Arun Pradeep
Abstract
एक गुरुत्वाकर्षण बल
जो रहे कार्यरत
दो ग्रहों के मध्य सतत
और जाने न दे
कक्षा के बाहर दशकों तक
एक पूर्ण कृष्ण -पिंड
जो लगातार करे शोषित
सभी दुर्गुण भौतिक
एक शाश्वत यन्त्र
जो रहता कार्यशील
स्व ऊर्जा से
बिना अपेक्षाओं के
युगों युगों तक।
हाइकु
कवि
होली नवगीत
होली विषाद
होली है...
होली की ठिठोल...
अनोखी होली
संक्रांति
सपना
आई ऋतु है शिशिर, हर वर्ष आती फिर, दिखे शीत का कहर, काँपे सभी थर थर। आई ऋतु है शिशिर, हर वर्ष आती फिर, दिखे शीत का कहर, काँपे सभी थर थर।
आज विश्व हिंदी दिवस पर, भारत, माँ की है यही पुकार। आज विश्व हिंदी दिवस पर, भारत, माँ की है यही पुकार।
लोगों से मिलता यह, हाथों में लग जाता है। आँख, नाक ,मुख से, प्रवेश शरीर में कर जाता है। लोगों से मिलता यह, हाथों में लग जाता है। आँख, नाक ,मुख से, प्रवेश शरीर में कर...
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक होगा। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक होगा।
मिलती कितनी सीख हमें गंगा और सागर से, गंगा की भाँति भूल अहं कर दें समर्पित, मिलती कितनी सीख हमें गंगा और सागर से, गंगा की भाँति भूल अहं कर दें समर्पित,
चिंताएँ कभी ख़त्म नहीं होतीं नींद में भी घुसपैठ कर जाती हैं। चिंताएँ कभी ख़त्म नहीं होतीं नींद में भी घुसपैठ कर जाती हैं।
कृष्ण कहो न कौन हो तुम ? बोलो न क्यों मौन हो तुम ? कृष्ण कहो न कौन हो तुम ? बोलो न क्यों मौन हो तुम ?
क्रीड़ा में भी सखा से पराजय मिलनी थी उन्हें स्वीकार। क्रीड़ा में भी सखा से पराजय मिलनी थी उन्हें स्वीकार।
सोने चांदी की नहीं, आंखों की चमक चेहरे की मुस्कान बने तेरा अभिमान! सोने चांदी की नहीं, आंखों की चमक चेहरे की मुस्कान बने तेरा अभिमान!
नयेपन का एहसास कहां है.. कहीं मिले तो बता दो तुम. नयेपन का एहसास कहां है.. कहीं मिले तो बता दो तुम.
तू समझ जा वक्त रहते ये फितरत उसकी अब रोज रोज तो हमसे भी न रोया जाायेगा। तू समझ जा वक्त रहते ये फितरत उसकी अब रोज रोज तो हमसे भी न रोया जाायेगा।
कंपकंपाती आवाज़ कर देती इंगित सच्चाई की ओर। कंपकंपाती आवाज़ कर देती इंगित सच्चाई की ओर।
आपका सबका स्वागत है श्रीमान, आप सब तो हैं प्यारे-प्यारे मेहमान। आपका सबका स्वागत है श्रीमान, आप सब तो हैं प्यारे-प्यारे मेहमान।
इस तरह एक चमत्कार की आशा में सदा, जिंदगी के सारे जहर मुस्कुरा कर पिया करते हैं। इस तरह एक चमत्कार की आशा में सदा, जिंदगी के सारे जहर मुस्कुरा कर पिया करते है...
पर वैदेही न हारेगी और न हारने देगी, नारी को अपना नारीत्व।। पर वैदेही न हारेगी और न हारने देगी, नारी को अपना नारीत्व।।
पर्वत उत्तुंग नदियां, विस्तृत हिमखंड। भूमि यह देवों की, देवालय उत्तराखंड।। पर्वत उत्तुंग नदियां, विस्तृत हिमखंड। भूमि यह देवों की, देवालय उत्तराखंड।।
पढ़ - लिखकर सामर्थ्यवान हुए जग को क्या संदेश दिए पढ़ - लिखकर सामर्थ्यवान हुए जग को क्या संदेश दिए
रंग एक, जुड़ा कितनों से... सारे घर एक ही रंग के... जो कहलाया शहर गुलाबी, जहां गुलाबी। रंग एक, जुड़ा कितनों से... सारे घर एक ही रंग के... जो कहलाया शहर गुलाबी, ...
वक़्त और हालात कैसे भी हो जाएं, चलूँ सच्चाई की राह, वक़्त और हालात कैसे भी हो जाएं, चलूँ सच्चाई की राह,
कविताएं लिखी कहां जाती बस बन जाती हैं। कविताएं लिखी कहां जाती बस बन जाती हैं।