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Arun Pradeep

Abstract

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Arun Pradeep

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होली नवगीत

होली नवगीत

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आया बासंती त्योहार

बिखरे रंग हज़ार

ग़ुलाबी हवा में फ़ैला

प्यार ही प्यार

अंगना में रंग लगाते देवर भौजी

उसारे में चैती गायें मिल मनमौजी

भंग ठंडाई छनती देखो बार बार

आया...

गोपी की लाठी बरसे गोपों की ढाल

फगुआ धमार गूंजे ढोलक की ताल

रति पार्वती के मन मारे हिलोरें प्यार

आया...!


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