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Arun Pradeep

Classics

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Arun Pradeep

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होली की ठिठोली

होली की ठिठोली

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जब भंग चढ़े और चंग बजे

तब देख तमाशा होली का

बाबा देवर सा रंग रंगे

तब देख तमाशा होली का 


गोपी बच बच कर जब निकले

और कान्हा सब रंगरेज़ करे

गगरी सर की टकटकी लगा

मारे पत्थर और छेद करे


कर बरजोरी जब कर डाले

सतरंगी चेहरा भोली का

मस्तों की टोली जब निकले

तब देख तमाशा होली का।


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