STORYMIRROR

Arun Pradeep

Classics

3  

Arun Pradeep

Classics

होली की ठिठोली

होली की ठिठोली

1 min
208

जब भंग चढ़े और चंग बजे

तब देख तमाशा होली का

बाबा देवर सा रंग रंगे

तब देख तमाशा होली का 


गोपी बच बच कर जब निकले

और कान्हा सब रंगरेज़ करे

गगरी सर की टकटकी लगा

मारे पत्थर और छेद करे


कर बरजोरी जब कर डाले

सतरंगी चेहरा भोली का

मस्तों की टोली जब निकले

तब देख तमाशा होली का।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics